कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता

. कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता. Definitely, till now i didn´t have met a single person in my life.

10 Hit Songs Of Mohammed Zahur Khayyam 'कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं
10 Hit Songs Of Mohammed Zahur Khayyam 'कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं from www.patrika.com

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता | संपूर्ण ग़ज़ल अज्ञात की वीडियो के साथ रेख़्ता पर. और जब अस्तित्व को स्वीकार का पानी मिल जाता है तो वह किसी समय या काल का मोहताज नहीं होता, फिर जब भी कोई फूल खिलता है, जब भी कोई बीज. Please like share and subscribe

प्यार किया नहीं जाता, बस हो जाता है। मशहूर शायर मिर्जा गालिब के शब्दों में, 'इश्क वो आतिश है गालिब, जो लगाए न लगे और बुझाए न बुझे' और जब इश्क हो ही गया है तो.


Today (12.10) is birth anniversary of nida fazli.lyricist is nida fazli, composed by khayyam, singer is bhupinder singh.unfortunately video is not available. Please like share and subscribe Definitely, till now i didn´t have met a single person in my life.

डाक्टर अनुपमा बहुत बुझे मन से इस यात्रा के लिये तैयार हो गयी । यह उसके बैच का रजत जयंती वर्ष का रियूनियन है और उसकी बेटी उसे ज़िद करके वहाँ भेज रही है । वह.


बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले. और जब अस्तित्व को स्वीकार का पानी मिल जाता है तो वह किसी समय या काल का मोहताज नहीं होता, फिर जब भी कोई फूल खिलता है, जब भी कोई बीज. कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीं तो कहीं आस्माँ नहीं मिलता बुझा सका ह भला कौन वक़्त के शोले ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं.

कभी बेरोजगार तो कभी 50 रुपये थी ‘जेठालाल’ की कमाई, मेहनत के.


कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीं तो कहीं आसमाँ. कहीं ज़मीं तो कहीं आस्माँ नहीं मिलता very beautiful and legitimate lines by nida fazli, which reflects the shear truth of the life. कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता | संपूर्ण ग़ज़ल अज्ञात की वीडियो के साथ रेख़्ता पर.

यही नहीं उन्होंने अपनी पत्नी मिताली सिंह के साथ दो दीवाने शहर में, कभी किसी को मुकम्मल जहां, एक अकेला इस शहर में जैसे कई हिट गाने भी गाए। उन्होंने सत्ते.


इसके बाद 14 फ़रवरी को वैलेंटाइन डे है जिसका इंतज़ार हर […] हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कभी जमीन तो कभी आसमान नहीं मिलता… कहीं ज़मीं तो कहीं आसमाँ नहीं मिलता. कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता.

ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ.


कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता / निदा फ़ाज़ली get link; Saturday, july 03, 2021 कभी किसी को मुकम्मल. कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता.

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